सर्वनाम दो शब्दों सर्व और नाम से मिलकर बना है। यहाँ सर्व का अर्थ है- सब तथा नाम का अर्थ है- संज्ञा अर्थात् सब संज्ञाओं के स्थान पर प्रयोग होने वाले शब्द को सर्वनाम कहते हैं। तात्पर्य यह है कि संज्ञा के स्थान पर जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है वही सर्वनाम है।
संज्ञा की भाँति सर्वनाम भी एक विकारी शब्द है। यहाँ विकार का अर्थ है- परिवर्तन या बदलाव। सर्वनाम में यह परिवर्तन या बदलाव वचन तथा कारक के कारण होता है। परन्तु ध्यान रहे कि लिंग के कारण सर्वनाम का रूपांतरण नहीं होता है।
हिन्दी में सर्वनामों की संख्या 11 होती है, जैसे:
हिन्दी में सर्वनाम के 6 भेद हैं:
पुरुषों (स्त्री और पुरुष दोनों) के स्थान पर प्रयोग होने वाले शब्द को पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते हैं:
जब आप का प्रयोग स्वयं के अर्थ में होता है तब वहाँ निजवाचक सर्वनाम होता है। निजवाचक सर्वनाम का प्रयोग सम्मान सूचक शब्द में किया जाता है। जब इसका प्रयोग सम्मान शब्द सूचक शब्द में किया जाता है तब इसकी क्रिया बहुवचन में होती है।
उदाहरण:
जिस सर्वनाम शब्द से किसी वस्तु अथवा व्यक्ति की निश्चितता का बोध हो उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। निश्चयवाचक सर्वनाम के अंतर्गत यह और वह आता है। यह का प्रयोग पास की वस्तु के लिए तथा वह का प्रयोग दूर की वस्तु के लिए किया जाता है।
उदाहरण:
जिस सर्वनाम शब्द से किसी वस्तु/व्यक्ति की अनिश्चितता का बोध हो वहाँ अनिश्चयवाचक सर्वनाम होता है। अनिश्चयवाचक सर्वनाम के अंतर्गत कोई और कुछ आता है। कोई का प्रयोग प्रायः व्यक्ति के संदर्भ में तथा कुछ का प्रयोग प्रायः वस्तु के संदर्भ में किया जाता है।
उदाहरण:
Note:
जिस सर्वनाम शब्द से दो वस्तुओं या व्यक्तियों के बीच संबंध का बोध हो उसे संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं।
उदाहरण:
जिस सर्वनाम शब्द से किसी प्रकार के प्रश्न किए जाने का बोध हो उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं।
उदाहरण: