| प्रकार | विशेषताएँ | उदाहरण |
|---|---|---|
| तद्भव | संस्कृत से विकसित शब्द | आँख (अक्षि), कान (कर्ण), दूध (दुग्ध) |
| तत्सम | संस्कृत से ज्यों के त्यों लिए गए शब्द | अग्नि, कमल, पुस्तक |
| देशज | स्थानीय भाषाओं से लिए गए शब्द | खटखट, झटपट, टपटप |
| विदेशज (आगत) | विदेशी भाषाओं से लिए गए शब्द | अदालत, किताब, बाजार (अरबी-फारसी) |
📝 नोट: तत्सम शब्द संस्कृत से सीधे लिए गए हैं और इनमें कोई परिवर्तन नहीं होता, जबकि तद्भव शब्द संस्कृत से आए हैं लेकिन समय के साथ इनमें परिवर्तन हुआ है।
| मुख्य वर्ग | उपवर्ग | विशेषताएँ |
|---|---|---|
| विकारी | संज्ञा | किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव या गुण का नाम |
| सर्वनाम | संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द | |
| क्रिया | कार्य या भाव को व्यक्त करने वाले शब्द | |
| विशेषण | संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द | |
| अविकारी | क्रिया-विशेषण | क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्द |
| सम्बन्धबोधक | शब्दों के बीच सम्बन्ध बताने वाले शब्द | |
| समुच्चयबोधक | शब्दों या वाक्यों को जोड़ने वाले शब्द | |
| विस्मयादिबोधक | हर्ष, शोक, आश्चर्य आदि भावों को व्यक्त करने वाले शब्द |
💡 महत्वपूर्ण तथ्य: तत्सम शब्द संस्कृत से सीधे लिए गए हैं और इनमें क्ष, त्र, ज्ञ, श्र जैसे संयुक्त अक्षर मिलते हैं, जबकि तद्भव शब्दों में ये संयुक्त अक्षर परिवर्तित हो जाते हैं। उदाहरण: क्षेत्र → खेत, ग्राम → गाँव।