संधि का अर्थ है दो वर्णों के मेल से उत्पन्न होने वाले विकार। यहाँ विकार का अर्थ परिवर्तन या बदलाव से है। संधि में यह परिवर्तन या बदलाव वर्णों में होता है।
🔍 उदाहरण: हिम + आलय
हिम् + अ + आलय
हिम् + आ + लय
हिमालय
विच्छेद का अर्थ है संधि युक्त शब्दों को अलग-अलग करना।
🔍 उदाहरण: हिमालय = हिम + आलय
संधि के तीन भेद होते हैं:
दो स्वरों के मेल से उत्पन्न होने वाले विकार को ही स्वर संधि कहते हैं।
यदि अ, आ, इ, ई, उ, ऊ तथा ऋ के बाद वे ही ह्रस्व या दीर्घ आये तो दोनों के स्थान पर दीर्घ (आ, ई, ऊ, ऋ) हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
यदि अ/आ के बाद इ/ई आये, उ/ऊ आये या ऋ आये तो तीनों के स्थान पर क्रमशः ए, ओ, तथा अर् हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
यदि अ/आ के बाद ए/ऐ, ओ/औ आये तो दोनों के स्थान पर क्रमशः ऐ तथा औ हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
यदि इ/ई, उ/ऊ तथा ऋ के बाद कोई भिन्न स्वर आये तो इ/ई का परिवर्तन य् में, उ/ऊ का परिवर्तन व् में तथा ऋ का परिवर्तन र् में हो जाता है।
📌 इसमें प्रायः एक अर्ध अक्षर होता है। जैसे - इत्यादि, स्वागत
🔍 उदाहरण:
यदि ए, ऐ, ओ, औ के बाद कोई भिन्न स्वर आये तो ए का परिवर्तन अय् में, ऐ का आय् में, ओ का अव् में तथा औ का आव् में हो जाता है।
📌 यह अधिकांशतः तीन अक्षर के होते हैं। जैसे - नयन, नायक
🔍 उदाहरण:
व्यंजन के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मेल से उत्पन्न होने वाले विकार को व्यंजन संधि कहते हैं। यहाँ पर विकार का अर्थ परिवर्तन या बदलाव से है।
यदि क्, च्, ट्, त्, प् के बाद किसी वर्ग का तीसरा, चौथा वर्ण या य, र, ल, व या कोई स्वर आये तो क्, च्, ट्, त्, प्, अपने ही वर्ग के तीसरे वर्ण में बदल जाता है।
🔍 उदाहरण:
यदि क्, च्, ट्, त्, प्, के बाद म या न आये तो क्, च्, ट्, त्, प अपने ही वर्ग के पंचम वर्ण में बदल जाता है।
🔍 उदाहरण:
यदि म् के बाद य, र, ल, व या श, ष, स, ह में से कोई वर्ण आये तो म् का परिवर्तन अनुस्वार में हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
यदि छ के पहले कोई स्वर आये तो छ के स्थान पर च्छ हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
यदि स के पहले अ/आ को छोड़कर कोई स्वर आये तो स के स्थान पर ष हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
यदि ऋ, र, या ष के बाद न आये तथा उसके बीच में क वर्ग, प वर्ग, य, व, ह या कोई स्वर आये तो न का परिवर्तन ण में हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
A. त्/द् संबंधी नियम: यदि त्/द् के बाद च/छ आये तो त्/द् के स्थान पर च् हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
B. यदि त्/द् के बाद ज/झ आते हैं तो त्/द् के स्थान पर ज् हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
C. यदि त्/द् के बाद ट/ठ आते है तो त्/द् के स्थान पर ट् हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
D. यदि त्/द् के बाद ड/ढ आये तो त्/द् के स्थान पर ड् हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
E. यदि त् के बाद ल आये तो त् का परिवर्तन ल् में हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
F. यदि त् के बाद श, व, स, ष्र में से कोई वर्ण आये तो श, ष, स, ष्र के स्थान पर छ् तथा त् के स्थान पर च् हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
G. यदि त्/द् के बाद ह आये तो ह के स्थान पर ध तथा त्/द् के स्थान पर द् हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
विसर्ग के बाद स्वर अथवा व्यंजन के मेल से उत्पन्न होने वाले विकार को विसर्ग संधि कहते हैं। यहाँ भी विकार का अर्थ परिवर्तन या बदलाव से है। विसर्ग संधि होने के कारण यह परिवर्तन या बदलाव प्रायः विसर्गों में होता है।
जैसे- विसर्ग(:)+स्वर/व्यंजन
यदि विसर्ग के बाद च/छ में से कोई वर्ण आये तो विसर्ग के स्थान पर श् हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
यदि विसर्ग के बाद ट/ठ आये तो विसर्ग के स्थान पर ष् हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
यदि विसर्ग के बाद त/थ आये तो विसर्ग का परिवर्तन स में हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
यदि विसर्ग के पहले इ/उ आये तथा विसर्ग के बाद श ष स आये तो विसर्ग का परिवर्तन क्रमशः श्, ष्, स् में हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
यदि विसर्ग के पहले इ/उ आये तथा विसर्ग के बाद क, ख, प, फ, ट, ठ में से कोई वर्ण आये तो विसर्ग का परिवर्तन ष् में हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
यदि विसर्ग के पहले अ हो तथा विसर्ग के बाद क, ख, प, फ में से कोई वर्ण आये तो विसर्ग में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
🔍 उदाहरण:
यदि विसर्ग के पहले अ आये तथा विसर्ग के बाद किसी वर्ग का तीसरा चौथा वर्ण आये या य, र, ल, व, ह, में से कोई वर्ण आये तो 'अ सहित' का परिवर्तन 'ओ' होता है।
🔍 उदाहरण:
यदि विसर्ग के पहले ह्रस्व इ/उ आये तथा विसर्ग के बाद र आये तो ह्रस्व इ/उ सहित विसर्ग का परिवर्तन दीर्घ ई/ऊ में हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
यदि विसर्ग के पहले अ/आ को छोड़कर कोई स्वर आये तथा विसर्ग के बाद किसी वर्ग के तीसरे, चौथे, पाँचवे वर्ग में से कोई वर्ण आये या य, र, ल, व, ह आये या कोई स्वर आये तो विसर्ग का परिवर्तन र् मे हो जाता है।
🔍 उदाहरण:
| शब्द | संधि विच्छेद | संधि का नाम |
|---|---|---|
| आशीर्वाद | आशीः + वाद | विसर्ग संधि |
| अन्वेषण | अनु + एषण | यण संधि |
| अध्ययन | अधि + अयन | अयादि |
| नयन | ने + अन | अयादि |
| तथैव | तथा + एव | वृद्धि संधि |
| भवन | भो + अन | अयादि |
| इत्यादि | इति + आदि | यण |
| अध्यक्ष | अधि + अक्ष | यण |
| परमौषध | परम् + औषध | वृद्धि |
| गणेश | गण + ईश | गुण |
| महोत्सव | महा + उत्सव | गुण |
| देवर्षि | देव + ऋषि | गुण |
| पित्राज्ञा | पितृ + आज्ञा | यण |
| मातृण | मातृ + ऋण | यण |