अनेकार्थी शब्द

अनेकार्थी शब्द का परिचय

अनेकार्थी शब्द क्या है?

अनेकार्थी शब्द वह शब्द है जिसके एक से अधिक अर्थ होते हैं।

हर भाषा में कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिनके एक से अधिक अर्थ होते हैं। ये वाक्यों के साथ मिलकर अलग-अलग अवसरों पर अलग-अलग अर्थ देते हैं। इन शब्दों को अनेकार्थी शब्द कहा जाता है। कविताओं में अनेकार्थी शब्द का प्रयोग विशेष रूप से यमक और अलंकार में किया जाता है।

अनेकार्थी शब्द के उदाहरण
आपत्ति- विपत्ति, एतराज।
अपेक्षा- इच्छा, आवश्यकता, आशा, इत्यादि।
अंबर- आकाश, अमृत, वस्त्र।
अनंत- आकाश, ईश्वर, विष्णु, अंतहीन, शेष नाग।
अवकाश- छुटटी, अवसर, अंतराल
अन्तर- शेष, दूरी, हृदय, भेद।
अर्क- इन्द्र, सूर्य, रस, अकबन।
अंकुर- कोंपल, नोंक, सूजन, रोआँ।
अंजन- काजल, रात, माया, लेप।
अंश- हिस्सा, कोण का अंश, किरण।
अंत- मरण, अवसान, सीमा।
अनन्त- आकाश, अन्तहीन, विष्णु।
अच्युत- कृष्ण, स्थिर, अविनाशी।
अपर- दूसरा, इतर, पंखहीन।
अपंग- अपाहिज, तिलक, नेत्रों के कोने।
कर- हाथ, टैक्स, किरण, सूँड़ ।
काल- समय, मृत्यु, यमराज।
कर्ण- कर्ण (नाम), कान।
कुशल- खैरियत, चतुर ।
काम- वासना, कामदेव, कार्य, पेशा, धंधा।
कनक- सोना, धतूरा, पलाश, गेंहूँ।
कुंद- भोंथरा, एक मूल।
कुल- वंश, सब।
कृष्ण- काला, कन्हैया, वेदव्यास।
केतु- एक ग्रह, ध्वज, श्रेष्ठ, चमक।
कोट- परिधान, किला।
कोटि- श्रेणी, करोड़, गणना।
कंक- यम, क्षत्रिय, युधिष्ठिर।
कंकण- कंगन, मंगलसूत्र, विवाह-सूत्र।
कंटक- घड़ियाल, काँटा, दोष।
कक्ष- कमरा, काँख, लता, रनिवास, बाजू।
कटाक्ष- आक्षेप, तिरछी निगाह, व्यंग्य।
कर्क- केंकड़ा, आग, एक राशि, आईना, सफेद।
काक- कौआ, लँगड़ा आदमी, अतिधृष्ट।
कादम्ब- कदम्ब, ईख, बाण, खट्टी मदिरा।
कृत्स्न- जल, कोख, पेट।
कैरव- कुमुद, कमल, शत्रु, ठग।
केवल- एकमात्र, विशुद्ध ज्ञान।
कंद- शकरकन्द, बादल, मिश्री।
कलत्र- स्त्री, कमर।
केलि- परिहास, खेल, पृथ्वी।
कमल- हिरण, पंकज, ताम्बा, आकाश।
कल्प- सबेरा, शराब।
गुरु- शिक्षक, ग्रहविशेष, श्रेष्ठ, बृहस्पति, भारी, बड़ा, भार।
गति- पाल, हालत, चाल, दशा, मोक्ष, पहुँच।
गदहा- गधा, मूर्ख, वैद्य।
ग्रहण- लेना, चन्द्र, सूर्यग्रहण।
गोविंद- कृष्ण, गोष्ठी का स्वामी।
गोत्र- वंश, वज्र, पहाड़, नाम।
गिरा- सरस्वती, गिरना, वाणी।
गौर- गोरा, विचार।
जाल- फरेब, बुनावट, फंदा, किरण, जाला।
जीवन- जल, प्राण, जीविका, जीवित।
जलधर- बादल, समुद्र।
जड़- मूल, मूर्ख।
जौ- वेग, शरिक्त, अन्न विशेष।
पानी- जल, चमक, इज्जत ।
पत्र- पत्ता, चिठ्ठी, पंख।
पृष्ठ- पीठ, पत्रा, पीछे का भाग।
प्रभाव- सामर्थ्य, असर, महिमा, दबाव।
पतंग- सूर्य, पक्षी, टिड्डी, फतिंगा, गुड्डी।
पय- दूध, अन्न, पानी।
पर- पंख, ऊपर, बाद, किन्तु।
पति- स्वामी, ईश्वर।
पयोधर- स्तन, बादल।
पीठ- पृष्ठभाग, पीढ़ा।
पान- पेय, द्रव्य, तांबूल, शराब।
पाश- बंधन, रस्सी, पशु।
पोत- नाव, बच्चा, दाव।
प्रतीक- चिह्न, प्रतिमा, उल्टा।
प्रवाल- मूँगा, नया पत्ता, वीणादंड।
पुष्कर- तालाब, कमल, आकाश, तलवार।
पिशुन- चुगलखोर, केसर, नारद, नीच, क्रूर, मूर्ख।
मयूख- कान्ति, किरण, ज्वाला।
मन्यु- क्रोध, दीनता, यज्ञ, चिन्ता।
मधु- शराब, शहद, बसंत, दूध, मीठा।
मान- सम्मान, इज्जत, अभिमान, नाप-तौल, मानना।
मित्र- दोस्त, सूर्य, प्रिय, साँप।
मूल- जड़, पहला, वृक्ष की जटा।
मूक- गूँगा, विवश, चुपचाप।
मंडल- जिला, हल्का, बिम्ब, क्षितिज।
मद- घमंड, हर्ष, शराब।
मल- मैल, कफ, पाप, बुराई।
मा- माता, मत, मान, लक्ष्मी।
मात्रा- इन्द्रिय, धन, परिमाण।

नोट: अनेकार्थी शब्दों का प्रयोग कविताओं में विशेष रूप से यमक और अलंकार में किया जाता है। इन शब्दों का अर्थ वाक्य के संदर्भ के अनुसार निर्धारित होता है।