- निर्माण: ज्वालामुखी के लावा से।
- अन्य नाम: रेगर या एण्टीसाल।
- अधिकता: आयरन, एलुमिनियम, चूना,पोटाश।
- कमी: नाइट्रोजन, फास्फोरस, ह्यूमस।
- महाराष्ट्र में इस मिट्टी का सर्वाधिक विस्तार है।
- अन्य क्षेत्र:
- मालवा का पठार
- उत्तरी कर्नाटक
- दक्षिण पूर्वी राजस्थान
- तमिलनाडु
- तेलंगाना
- काठियावाड़
- विशेषता: नमी धारण करने की उच्च क्षमता (कम सिंचाई आवश्यक)। सूखने पर दरारें पड़ जाती हैं।
- उपनाम: स्वतः जुताई वाली मिट्टी।
- यह मिट्टी गेहूँ, कपास, मूंगफली, प्याज, आम, पान और संतरा के लिए उपजाऊ होती है।
आमतौर पर किस मिट्टी को 'स्वतः जुताई मिट्टी' कहा जाता है?
A. जलोढ़ मिट्टी
B. लेटराइट मिट्टी
C. लाल मिट्टी
D. काली कपास की मिट्टी ✓
विभिन्न तरीकों से मृदा के अनुउपजाऊपन (अम्लता या क्षारकता) को समाप्त कर उसे कृषि योग्य बनाना ही मृदा उपचार है।
- पूर्वी भाग की मृदा: प्रायः अम्लीय (Acidic). उपचार: चूने (Lime) द्वारा।
- पश्चिमी भाग की मृदा: प्रायः क्षारीय (Alkaline) या लवणीय (Saline). उपचार: जिप्सम (Gypsum - कैल्शियम सल्फेट) द्वारा।