बाढ़ सूखा और आपदा प्रबंधन

बाढ़ (Flood)
💧 परिभाषा: सामान्य से 20% अधिक वर्षा को अतिवृष्टि कहा जाता है। यह बाढ़ का प्रमुख कारण बनता है।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र एवं नदियाँ

बाढ़ के कारण (प्राकृतिक एवं मानवजन्य)

  1. नदियों के किनारे खड्ढ तथा द्रोणी में अतिरिक्त जल एकत्र हो जाता है। परन्तु नगरीकरण की प्रक्रिया में इसे ढक दिया जाता है जिससे नदियों का अतिरिक्त जल निचली बस्तियों में प्रवेश कर जाता है।
  2. बिहार में नेपाल की पहाड़ी नदियाँ सिल्ट के साथ प्रवेश करती हैं। बिहार एक समतल मैदानी क्षेत्र है अतः जल बिखरकर बाढ़ का रूप धारण कर लेता है। कोसी नदी इसी कारण से कुख्यात है।
  3. कभी-कभी बाँध से अतिरिक्त जल छोड़ा जाता है जो बाढ़ का रूप धारण कर लेता है।
  4. जिन क्षेत्रों में अधिक वर्षा नहीं होती वहाँ अतिवृष्टि बाढ़ का रूप धारण कर लेती है। यदि जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं है तो अतिरिक्त वर्षा बाढ़ का रूप धारण कर लेती है।
  5. बादल का फटना भी बाढ़ का कारण बन जाता है। 1 घण्टे में 10 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा ही बादल का फटना है।
  6. चक्रवात के कारण उड़ीसा व आन्ध्र प्रदेश राज्यों में बाढ़ आ जाती है।

बाढ़ नियंत्रण के उपाय

  1. बाँधों का निर्माण करके।
  2. नदियों को आपस में जोड़कर
  3. नदियों के प्राकृतिक प्रवाह को सुरक्षित रखते हुए।
  4. नदी तट पर Township और बस्तियों की स्थापना न करके
  5. A.P.J. अब्दुल कलाम ने नदी तट पर पक्के कुओं की श्रृंखला बनाने का सुझाव दिया। जो न सिर्फ बाढ़ रोकेगा अपितु भूमिगत जल का स्तर भी बढ़ाएगा।
सूखा (Drought)
🏜️ परिभाषा: सामान्य से 20% कम वर्षा की स्थिति को सूखा कहा जाता है। भारत का 68% भू-भाग सूखा आशंकित है।

सूखा प्रभावित क्षेत्र

  • गुजरात
  • महाराष्ट्र
  • पश्चिमी मध्य प्रदेश
  • पश्चिमी राजस्थान
  • दक्षिणी पंजाब
  • हरियाणा
  • बुन्देलखण्ड आदि

सूखा प्रभावित क्षेत्रों का वर्गीकरण

  1. मरुस्थलीय क्षेत्र – जहाँ 50 सेंटीमीटर से कम वर्षा होती है।
  2. सूखा आशंकित क्षेत्र – जहाँ 75 सेंटीमीटर से कम वर्षा होती है।

सूखे के कारण

  1. कम वर्षा होना
  2. भूमिगत जल का अंधाधुन दोहन
  3. वृक्षों का कटाव
  4. मरुस्थलों का वायु के कारण हुआ प्रसार
  5. वर्षा जल का संरक्षण न कर पाना
  6. सिंचाई सुविधाओं का अभाव

सूखे को रोकने के लिए किए गए उपाय

  1. बहुउद्देश्यीय परियोजनाएँ
  2. D.D.P. [Desert Development Programme]
  3. D.P.A.P. [Drought Prone Areas Programme]
  4. C.A.D.P. [Command Area Development Programme] 1947-75
  5. पानी पंचायत Act 2002 में इनका विलय करके Command Area Development और Water Management Programme प्रारम्भ किया गया।
  6. Check dam का निर्माण करके।
  7. जोहड़ और तालाब का निर्माण करके। (जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने 8000 से अधिक जोहड़ बनवाये हैं)
  8. वृक्षारोपण के लिए वन महोत्सव जैसे कार्यक्रम संचालित करके।
  9. सतह सिंचाई के स्थान पर Drip Irrigation और Sprinkler को बढ़ावा देना।
  10. Basin Irrigation को बढ़ावा देकर।
  11. Smart Farming के द्वारा (जिसमें वर्षा तथा मौसम के पूर्वानुमान पर के आधार पर फसलों का चयन किया जाता है।)
आपदा प्रबंधन (Disaster Management)
🚨 राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम: 2005 में N.D.M.A. [National Disaster Management Act] लागू किया गया। इसके तहत National Disaster Management Authority का गठन किया गया।

आपदा प्रबंधन की संरचना

इसकी त्रिस्तरीय संरचना है, जिसका नेतृत्व:

  • केन्द्र में प्रधानमंत्री
  • राज्यों में मुख्यमंत्री
  • जिले में D.M. (District Magistrate) द्वारा किया जाता है

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल

  • N.D.R.F. [National Disaster Response Force] का गठन 2009 में किया गया।
  • इसकी कुल 10 बटालियन हैं जो B.S.F., C.R.P.F., C.I.S.F., I.T.B.P. से निर्मित की गई हैं।
  • राष्ट्रपति और राज्यपाल की अध्यक्षता में आकस्मिकता निधि का गठन किया गया। (Art-267)