भूजल संसाधन

परिचय: भूजल क्या है?

भू-जल, वह जल होता है जो चट्टानों और मिट्टी में रिस जाता है और भूमि के नीचे जमा होता है। जिन चट्टानों में भू-जल जमा होता है, वे जलभृत, बजरी, रेत, बलुआ पत्थर या चूने पत्थर से बनी होती हैं। इन चट्टानों से पानी नीचे बहता रहता है, जो चट्टानों को पारगम्य बना देती हैं।

मुख्य उपयोग: भूजल संसाधनों का उपयोग पीने, सिंचाई, उद्योग आदि क्षेत्रों में होता है। इसका सर्वाधिक उपयोग कृषि क्षेत्र में होता है।
भारत में भूजल की उपलब्धता एवं पुनर्भरण
भारत में जलभृतों (Aquifers) का वर्गीकरण

भारत में जल जमाव को निम्नलिखित श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:

(i) प्रायद्वीपीय भारत में कठोर चट्टान वाले जलभृत

(ii) सिंधु-गंगा मैदानों में कहारी जलभृत

भूजल का उपयोग, निकासी एवं अति-दोहन

भारत की कृषि और पेयजल आपूर्ति में भूजल की हिस्सेदारी बहुत बड़ी है।

भू-जल के माध्यम से सिंचाई

भू-जल का सबसे अधिक उपयोग सिंचाई के लिये होता है। देश में सिंचाई के मुख्य साधनों में नहरें, टैंक और कुएँ तथा ट्यूबवेल हैं।

⚠️ भू-जल का अति-दोहन:

दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान राज्यों में भू-जल विकास का स्तर बहुत अधिक है, जहाँ भू-जल विकास 100% से अधिक है। इसका अर्थ यह है कि इन राज्यों में वार्षिक भू-जल उपयोग, वार्षिक भू-जल पुनर्भरण से अधिक है।

भारत में जल संसाधन से संबंधित महत्वपूर्ण संगठन
क्र. सं. संगठन / संस्थान स्थापना मुख्यालय उद्देश्य
1 राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी 1982 दिल्ली जल विज्ञान के सभी पहलुओं पर व्यवस्थित और वैज्ञानिक कार्य शुरू करना, उन्हें बढ़ावा देना और उनमें समन्वय स्थापित करना।
2 केन्द्रीय जल तथा विद्युत अनुसंधान केन्द्र 1916 खडगवासला (पुणे) जल और ऊर्जा संसाधन विकास व जल परिवहन जैसे क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की परियोजनाओं के लिए व्यापक अनुसंधान एवं विकास सहायता उपलब्ध कराना।
3 राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान 1978 रुड़की (उत्तराखंड) जल विज्ञान के सभी पहलुओं में व्यवस्थित और वैज्ञानिक कार्य प्रारम्भ करना, उन्हें बढ़ावा देना और उनमें समन्वय स्थापित करना।
4 गंगा - बाढ़ नियंत्रण आयोग 1972 पटना (बिहार) गंगा नदी प्रणालियों के बाढ़ प्रबंध की योजनाएँ तैयार करना, विभिन्न योजनाएँ लागू करने के लिए तकनीकी, आर्थिक दृष्टि से चरणबद्ध कार्यक्रम तैयार करना, बाढ़ प्रबंधन योजनाओं की निगरानी करना आदि।