भू-जल, वह जल होता है जो चट्टानों और मिट्टी में रिस जाता है और भूमि के नीचे जमा होता है। जिन चट्टानों में भू-जल जमा होता है, वे जलभृत, बजरी, रेत, बलुआ पत्थर या चूने पत्थर से बनी होती हैं। इन चट्टानों से पानी नीचे बहता रहता है, जो चट्टानों को पारगम्य बना देती हैं।
भारत में जल जमाव को निम्नलिखित श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:
भारत की कृषि और पेयजल आपूर्ति में भूजल की हिस्सेदारी बहुत बड़ी है।
भू-जल का सबसे अधिक उपयोग सिंचाई के लिये होता है। देश में सिंचाई के मुख्य साधनों में नहरें, टैंक और कुएँ तथा ट्यूबवेल हैं।
दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान राज्यों में भू-जल विकास का स्तर बहुत अधिक है, जहाँ भू-जल विकास 100% से अधिक है। इसका अर्थ यह है कि इन राज्यों में वार्षिक भू-जल उपयोग, वार्षिक भू-जल पुनर्भरण से अधिक है।
| क्र. सं. | संगठन / संस्थान | स्थापना | मुख्यालय | उद्देश्य |
|---|---|---|---|---|
| 1 | राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी | 1982 | दिल्ली | जल विज्ञान के सभी पहलुओं पर व्यवस्थित और वैज्ञानिक कार्य शुरू करना, उन्हें बढ़ावा देना और उनमें समन्वय स्थापित करना। |
| 2 | केन्द्रीय जल तथा विद्युत अनुसंधान केन्द्र | 1916 | खडगवासला (पुणे) | जल और ऊर्जा संसाधन विकास व जल परिवहन जैसे क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की परियोजनाओं के लिए व्यापक अनुसंधान एवं विकास सहायता उपलब्ध कराना। |
| 3 | राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान | 1978 | रुड़की (उत्तराखंड) | जल विज्ञान के सभी पहलुओं में व्यवस्थित और वैज्ञानिक कार्य प्रारम्भ करना, उन्हें बढ़ावा देना और उनमें समन्वय स्थापित करना। |
| 4 | गंगा - बाढ़ नियंत्रण आयोग | 1972 | पटना (बिहार) | गंगा नदी प्रणालियों के बाढ़ प्रबंध की योजनाएँ तैयार करना, विभिन्न योजनाएँ लागू करने के लिए तकनीकी, आर्थिक दृष्टि से चरणबद्ध कार्यक्रम तैयार करना, बाढ़ प्रबंधन योजनाओं की निगरानी करना आदि। |