भारत के प्राकृतिक भाग
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भारत को पाँच प्रमुख प्राकृतिक भागों में विभाजित किया जा सकता है:
उत्तर का पर्वतीय क्षेत्र
उत्तर का मैदान
थार का मरुस्थल
प्रायद्वीपीय पठार
समुद्र तटीय मैदान
(1) उत्तर का पर्वतीय क्षेत्र
हिमालय का उदय
70 लाख वर्ष पूर्व
गोंडवाना लैंड की यूरेशियन प्लेट से टक्कर के फल स्वरुप हुआ।
हिमालय के स्थान पर प्रारंभ में
टेथिस
नामक समुद्र था। राजस्थान की खारी झीलें इसी समुद्र के अवशेष हैं -
सांभर, पुष्कर, अनासागर, लूनकरनसर, डीडवाना
।
पश्चिम में
हिन्दुकुश
तथा भारत-म्यामार सीमा पर
अराकान योमा (Arakan Yoma)
हिमालय के दक्षिणी विस्तार हैं।
अंडमान निकोबार
हिमालय का ही जल में डूबा हुआ भाग है।
(2) उत्तर का मैदान
यह विश्व के सबसे उपजाऊ एवं विशाल मैदानों में से एक है।
गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र
की सिल्ट से इसका निर्माण हुआ है।
इस मैदान को चार भागों में विभक्त किया गया है:
(a)
भाबर
(b)
तराई
(c)
बांगर
(d)
खादर
(a) भाबर
यह हिमालय का पर्वतीय क्षेत्र है।
यह नदियों द्वारा लाए गए कंकण, पत्थर से निर्मित है।
इसकी चौड़ाई
½ से 1 किलोमीटर
है।
(b) तराई
यह भाबर के आगे का क्षेत्र है जो पर्वत पद के समानांतर विस्तृत है।
इसकी औसत चौड़ाई
50 किलोमीटर
तक है।
गोरखपुर से पीलीभीत
तक गोरखपुर की तराई का विस्तार है (
700 किलोमीटर
)।
तराई नम भूमि होती है, जहां सघन वृक्षारोपण होता है।
(c) बांगर
यह तराई से आगे का भूभाग है जो नदियों द्वारा लाई गई सिल्ट से निर्मित है।
दोमट मिट्टी
से बनाया यह क्षेत्र अत्यंत उपजाऊ है।
पंजाब से यूपी
तक बांगर का विस्तार है।
पंजाब में बांगर को
धाया
कहते हैं।
(d) खादर
यह बांगर की तुलना में अपेक्षाकृत निचला मैदान है।
यह नदियों द्वारा लाई गई सिल्ट से अभी भी निर्मित हो रहा है।
बिहार और बंगाल
खादर प्रदेश हैं।
(3) थार का मरुस्थल
राजस्थान में
अरावली के पश्चिम
का क्षेत्र
मारवाड़
कहा जाता है।
यह थार के मरुस्थल का भारतीय भाग है।
इस क्षेत्र में औसत वार्षिक वर्षा
10 सेंटीमीटर
है।
यह क्षेत्र
मारवाड़ी व्यापारियों
के लिए जाना जाता है।
इंदिरा गांधी नहर, जोहर तथा खेजरी के वृक्षों
के कारण इस क्षेत्र के परिदृश्य में बदलाव आया है।
(4) प्रायद्वीपीय/दक्षिण का पठार
यह एक विशाल पठार है जो
विश्व का प्राचीनतम भूखंड
है।
इसे
गोंडवाना लैंड
के नाम से भी जाना जाता है।
नर्मदा के उत्तर के अनेक पहाड़ भी इसी प्रठार का अंग है जैसे –
अरावली, विंध्य, सतपुड़ा, छोटा नागपुर का पठार और राजमहल की पहाड़ियां
।
अरावली विश्व की प्राचीनतम पर्वत
है।
दक्षिण का पठार
काली और लाल मिट्टी
से निर्मित है।
काली मिट्टी से निर्मित होने के कारण यह
गेहूं, कपास और गन्ना
के लिए उपजाऊ है।
यह पठार
खनिजों
के लिए भी जाना जाता है।
(5) समुद्र तटीय क्षेत्र
भारत के पश्चिम में
ताप्ती से कन्याकुमारी
तक
सह्याद्री पर्वतमाला
स्थित है, इसे
पश्चिम घाट
भी कहा जाता है।
यह
25 से 50 किलोमीटर
चौड़े मैदान का निर्माण करता है जो अत्यंत ही उपजाऊ है।
पूर्वी घाट
का विस्तार
उड़ीसा से नीलगिरी
तक है, यह चक्रवात को भी रोकता है।
नीलगिरी
पूर्वी और पश्चिमी घाट का मिलन बिंदु है।
इसके दक्षिण में तीन पहाड़ियां है –
पलनी, अन्नामलाई, कारडमम
।
पूर्वी घाट अपेक्षाकृत कटा-फटा है अतः पश्चिमी घाट से होकर निकलने वाली नदियां इसी से होकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
कच्छ का रण
रण वास्तव में
समुद्री दलदल
है।
कच्छ का रण
मैग्रोव वनस्पति
तथा
जंगली बाघों
के लिए जाना जाता है।
यहां
पेट्रोलियम के भंडार
भी खोजे गए हैं।
सर क्रीक और कोरी क्रीक
इसी क्षेत्र में स्थित है जो भारत-पाकिस्तान के मध्य विवादित क्षेत्र है।
कच्छ के रण को
Bio Sphere Reserve
घोषित किया जा चुका है।
लूनी नदी
इसी रण में विलीन हो चुकी है।
उत्तर पूर्वी भारत
यह
सिक्किम
तथा सात अन्य राज्यों का समूह है जिन्हें
Seven Sisters
कहते हैं।
यह क्षेत्र हिमालय तथा घने जंगलों से आच्छादित है।
यहां
200 जनजातियां
पाई जाती हैं।
इस क्षेत्र में अनेक छोटी-छोटी नदियां हैं जिनमें
50,000 मेगा वाट
जल विद्युत उत्पादन की संभावना है।
उत्तर पूर्व में
पर्यटन और फ्लोरीकल्चर
को बढ़ावा दिया जा रहा है।
राष्ट्रीय राजमार्ग-31 (N.H.-31)
इस क्षेत्र को शेष भारत से जोड़ता है।
यह
सिलीगुड़ी गलियारे
से निकलता है जिसे
Chicken Neck
भी कहा जाता है।