भारतीय चट्टानें

भारतीय चट्टानों का वर्गीकरण

I. उत्तर की पर्वतमाला

हिमालय पर्वत श्रृंखला और उससे जुड़ी पर्वत श्रृंखलाएँ

II. उत्तर भारत का मैदान

सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानी क्षेत्र

III. प्रायद्वीपीय पठार

विंध्य पर्वत श्रृंखला के दक्षिण का क्षेत्र

प्रायद्वीपीय पठार की चट्टानें
🌋 प्रायद्वीपीय पठार: यह गोण्डवाना लैण्ड का एक भाग है, जो विश्व की प्राचीनतम चट्टान है। इसे 6 श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है।
सबसे प्राचीन

आर्कियन तंत्र की चट्टानें

यह चट्टानें नीस और सिस्ट से निर्मित हैं।

विस्तार: बुंदेलखण्ड, बिल्लारी (कर्नाटक), बंगाल, नीलगिरी

आग्नेय चट्टानें कायांतरित चट्टानें

धारवाड़ क्रम की चट्टानें

यह आर्कियन तंत्र की चट्टानों के अपरदन से बनी है।

भारत में सर्वाधिक खनिज इसी तंत्र से पाये जाते हैं।

विस्तार: कर्नाटक में धारवाड़, बिल्लारी, अरावली, मध्यप्रदेश में मालाघाट और रींवा, छोटा नागपुर का पठार

लोहा ताँबा सोना मैंगनीज

कड़प्पा तंत्र की चट्टानें

इन चट्टानों का निर्माण धारवाड़ तंत्र के अपरदन से हुआ है।

विस्तार: कृष्णा नदी की घाटी, नल्लामलाई

अवसादी चट्टानें बलुआ पत्थर चूना पत्थर

विंध्य तंत्र चट्टानें

इन चट्टानों का निर्माण कड़प्पा तंत्र की चट्टानों के अपरदन से हुआ है।

विस्तार: चित्तौड़ से सहसाराम (बिहार) तक

बलुआ पत्थर चूना पत्थर शेल

गोण्डवाना तंत्र की चट्टानें

इन चट्टानों का विस्तार विशाल क्षेत्रों में हुआ है।

विस्तार: दामोदर, महानदी और गोदावरी की घाटी में इनका सर्वोत्तम रूप पाया जाता है।

98% कोयला इन्हीं चट्टानों में मिलता है।

कोयला बलुआ पत्थर शेल
सबसे नवीन

दक्कन का पठार

ये चट्टानें विदर्भ क्षेत्र में पायी जाती हैं।

ये ज्वालामुखी क्रिया से निर्मित हुई हैं।

बेसाल्ट काली मिट्टी
प्रमुख चट्टानों का विस्तृत विवरण

आर्कियन तंत्र की चट्टानें

आयु: 4 अरब से 2.5 अरब वर्ष पुरानी

प्रकार: आग्नेय और कायांतरित चट्टानें

संरचना: नीस, सिस्ट, क्वार्ट्जाइट, मार्बल

विशेषताएँ:

  • ये भारत की सबसे प्राचीन चट्टानें हैं
  • इनमें जीवाश्म नहीं पाए जाते
  • अत्यधिक कठोर और क्रिस्टलीय संरचना

प्रमुख क्षेत्र:

  • बुंदेलखण्ड का पठार
  • बिल्लारी (कर्नाटक)
  • बंगाल का पठारी क्षेत्र
  • नीलगिरी पहाड़ियाँ
  • मेघालय का पठार

धारवाड़ क्रम की चट्टानें

आयु: 2.5 अरब से 1.8 अरब वर्ष पुरानी

प्रकार: अवसादी और कायांतरित चट्टानें

संरचना: स्लेट, फिलाइट, शिस्ट, क्वार्ट्जाइट, मार्बल

विशेषताएँ:

  • आर्कियन तंत्र की चट्टानों के अपरदन से निर्मित
  • भारत के सर्वाधिक खनिज संसाधन इन्हीं चट्टानों में पाए जाते हैं
  • इनमें भी जीवाश्म नहीं पाए जाते

प्रमुख खनिज:

  • लोहा (बिहार-उड़ीसा, कर्नाटक)
  • ताँबा (सिंहभूम, खेतड़ी)
  • सोना (कोलार, हट्टी)
  • मैंगनीज (उड़ीसा, कर्नाटक)

प्रमुख क्षेत्र:

  • कर्नाटक में धारवाड़ और बिल्लारी
  • अरावली पर्वत श्रृंखला
  • मध्यप्रदेश में मालाघाट और रींवा
  • छोटा नागपुर का पठार

कड़प्पा तंत्र की चट्टानें

आयु: 1.8 अरब से 600 मिलियन वर्ष पुरानी

प्रकार: अवसादी चट्टानें

संरचना: बलुआ पत्थर, चूना पत्थर, शेल, क्वार्ट्जाइट

विशेषताएँ:

  • धारवाड़ तंत्र की चट्टानों के अपरदन से निर्मित
  • इनमें भी जीवाश्म नहीं पाए जाते
  • अवसादी चट्टानों की परतें स्पष्ट दिखाई देती हैं

प्रमुख क्षेत्र:

  • कृष्णा नदी की घाटी
  • नल्लामलाई पहाड़ियाँ
  • कड़प्पा जिला (आंध्र प्रदेश)

विंध्य तंत्र चट्टानें

आयु: 600 मिलियन से 500 मिलियन वर्ष पुरानी

प्रकार: अवसादी चट्टानें

संरचना: बलुआ पत्थर, चूना पत्थर, शेल

विशेषताएँ:

  • कड़प्पा तंत्र की चट्टानों के अपरदन से निर्मित
  • इनमें कुछ प्रारंभिक जीवाश्म मिलते हैं
  • क्षैतिज परतों में व्यवस्थित

प्रमुख क्षेत्र:

  • चित्तौड़ से सहसाराम (बिहार) तक
  • विंध्य पर्वत श्रृंखला
  • कैमूर पहाड़ियाँ

गोण्डवाना तंत्र की चट्टानें

आयु: 290 मिलियन से 180 मिलियन वर्ष पुरानी

प्रकार: अवसादी चट्टानें

संरचना: बलुआ पत्थर, शेल, कोयला

विशेषताएँ:

  • भारत के 98% कोयला भंडार इन्हीं चट्टानों में पाए जाते हैं
  • इनमें प्राचीन वनस्पतियों और जीवों के जीवाश्म मिलते हैं
  • ग्लोसोप्टेरिस वनस्पति के जीवाश्म प्रमुख हैं

प्रमुख क्षेत्र:

  • दामोदर नदी की घाटी (झारखंड, पश्चिम बंगाल)
  • महानदी की घाटी (छत्तीसगढ़, उड़ीसा)
  • गोदावरी की घाटी (महाराष्ट्र, तेलंगाना)
  • सतपुड़ा-मैकाल पर्वत श्रृंखला

दक्कन का पठार

आयु: 65 मिलियन वर्ष पुरानी

प्रकार: आग्नेय चट्टानें (बेसाल्ट)

संरचना: बेसाल्ट, डोलेराइट

विशेषताएँ:

  • ज्वालामुखी क्रिया से निर्मित
  • क्रेटेशियस युग के अंत और टर्शियरी युग के प्रारंभ में निर्मित
  • इनसे काली मिट्टी (रेगुर) का निर्माण होता है, जो कपास की खेती के लिए उपयुक्त है

प्रमुख क्षेत्र:

  • विदर्भ क्षेत्र (महाराष्ट्र)
  • मालवा का पठार
  • दक्कन का पठार (महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश)
भारतीय चट्टानों का आर्थिक महत्व

खनिज संसाधन और चट्टानें

चट्टान प्रणाली प्रमुख खनिज महत्वपूर्ण क्षेत्र
धारवाड़ क्रम लोहा, ताँबा, सोना, मैंगनीज सिंहभूम (झारखंड), बेल्लारी (कर्नाटक), कोलार (कर्नाटक)
कड़प्पा तंत्र बलुआ पत्थर, चूना पत्थर, डोलोमाइट कड़प्पा (आंध्र प्रदेश), नल्लामलाई
विंध्य तंत्र बलुआ पत्थर, चूना पत्थर, पोटाश विंध्य पर्वत श्रृंखला, कैमूर पहाड़ियाँ
गोण्डवाना तंत्र कोयला, बलुआ पत्थर रानीगंज, झरिया, बोकारो, तलचर, सिंगरौली
दक्कन ट्रैप बेसाल्ट, काली मिट्टी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश
💎 भारतीय चट्टानों का आर्थिक महत्व:
  • खनिज संसाधन: भारत के अधिकांश खनिज संसाधन प्रायद्वीपीय पठार की चट्टानों में पाए जाते हैं, विशेष रूप से धारवाड़ क्रम की चट्टानों में।
  • ऊर्जा संसाधन: भारत का 98% कोयला गोण्डवाना तंत्र की चट्टानों में पाया जाता है।
  • कृषि: दक्कन ट्रैप से निर्मित काली मिट्टी (रेगुर) कपास की खेती के लिए अत्यंत उपयुक्त है।
  • निर्माण सामग्री: विभिन्न प्रकार की चट्टानें निर्माण सामग्री के रूप में प्रयोग की जाती हैं, जैसे ग्रेनाइट, बलुआ पत्थर, चूना पत्थर आदि।
  • जल संसाधन: विभिन्न प्रकार की चट्टानें भूजल के भंडारण और प्रवाह को प्रभावित करती हैं।
प्रश्न: भारत के किस चट्टान तंत्र में सर्वाधिक खनिज संसाधन पाए जाते हैं?
A) आर्कियन तंत्र
B) धारवाड़ क्रम
C) कड़प्पा तंत्र
D) गोण्डवाना तंत्र
प्रश्न: भारत का अधिकांश कोयला किस चट्टान तंत्र में पाया जाता है?
A) धारवाड़ क्रम
B) विंध्य तंत्र
C) गोण्डवाना तंत्र
D) दक्कन ट्रैप